Search This Blog

Thursday 4 September 2008

Teri surat nigaahon mein firti rahe..


Qawwali is form of sufi devotional music. During a Qawwali , it is observed that, listeners and artists transcend the wordly existence and are united with the Supreme,considered to be the height of spiritual ecstasy in Sufism. Mostly Qawwalis are sung in the name of god or seers but often for beloved. The provenance of Qawwali in Indian subcontinent can be traced to Amir Khusrow. Qawwalis are generally sung at dargahs of Sunni sufi saints. Aziz Mian was one of the most popular qawwals of our time.This beautiful Qawaali is written and rendered by Aziz mian.




दिल के बाज़ार में दौलत नहीं देखी जाती,
मियां, प्यार हो जाए तो सूरत नहीं देखी जाती,
एक तबस्सुम पे दो आलम को नेछावर कर दूँ,
माल अच्छा हो तो कीमत नहीं देखी जाती।

[तबस्सुम = smile , Happiness, आलम= universe]

मैंने दिल दिया, मेरे प्यार की हद थी,
जान दी ऐतबार की हद थी,
मर गए हम खुली रही आँखें,
यह मेरे इंतज़ार की हद थी।

तेरी सूरत निगाहों में फिरती रहे
इश्क तेरा सताए तो मैं क्या करूँ ।

दिल एक मन्दिर है, आप मूरत हैं,
आप कितने खूबसूरत हैं ।
तुझ को तकते रहे सब तू जो आया मस्जिद में,
नमाज़ सब ने अदा की तेरी अदा के लिए ।


तुझ में जो बात है वो बात नहीं आई है,
क्या ये तस्वीर किसी गैर से खिचवाई है,
मेरे खामोश रहने से ऐ बंदानशीं
तुझ पे इल्जाम आए तो मैं क्या करूँ ।

हस्न और इश्क दोनों में तफरीक है,
क्या करूँ मेरा दोनों पे ईमान है,
गर खुदा रूठ जाए तो सजदे करूँ,
गर सनम रूठ जाए तो मैं क्या करूँ।
[ तफरीक = Difference]


मेरे मरने की तुम मांगते हो दुआ,
ले गला घोट के मैं भी बेज़ार हूँ,
मौत अब तक तो दामन बचाती रही,
तू भी दामन बचाए तो मैं क्या करूं।

ज़ोर लगता गया फसाने में,
राज़ खुलता गया छुपाने में,
तुने तिनके समझ के फूँक दिए
मेरी दुनिया थी आशियाने में।

मैंने ख़ाक-ए-नशेमन को बोसे दिए,
और कह कर यह दिल को समझा लिया की,
आशियाना बनाना मेरा काम था,
कोई बिजली गिराए तो मैं क्या करूँ ।
[ख़ाक-ए-नशेमन = ruins of my dreamhome, बोसे = Kiss]
तेरी सूरत निगाहों में फिरती रहे,
इश्क तेरा सताए तो मैं क्या करूँ ।



No comments: